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Sunday, September 28, 2014

बहू की फिर से शादी कराने के लिए bjp सांसद ने दी 100 करोड़ की संपत्ति


* भाजपा सांसद का अतुल्यनीय कदम
* भाजपा सांसद विट्ठल रादडीया ससूर नहीं बाप बनकर खड़े रहे
* सांसद के बेटे कल्पेश की 7 महीने पहले मौत हो चूकी थी
* स्वर्गीय कल्पेश की विधवा पत्नी और दो बेटीया का जीवन फ़ीर से खुशियो से भरेगा
* भाजपा सांसद विट्ठल रादडीया ने ससूर से बेटी के बाप का फर्ज नीभाया

           
" पोरबंदर से सांसद विट्ठल रादड़िया ने अपनी विधवा बहू की दोबारा शादी के लिए 100 करोड़ रुपये की संपत्ति दी है। विट्ठल पोरबंदर से बीजेपी के सांसद हैं। सूत्रों के मुताबिक, विट्ठल के बेटे कल्पेश की सात महीने पहले दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी ,कल्पेश के परिवार में उनकी पत्नी मनीषा और दो बेटियां थीँ। "

         
" विट्ठल के करीबी चेतन रामानी के मुताबिक, कल्पेश की मौत के बाद से ही विट्ठल अपनी बहू के पुर्नविवाह के लिए प्रयास कर रहे थे ताकि उसकी जिंदगी को नई दिशा मिल सके। मनीषा की शादी शुक्रवार को राजकोट के जामकंडोरणा में विट्ठल के बेटे ललित के दोस्त हार्दिक चोवाटिया से होगी। चेतन रामानी ने कहा, 'विट्ठल रादड़िया ने अपनी बहू को कन्यादान के तौर पर 100 करोड़ की संपत्ति देकर एक मिसाल कायम की है' "
शायद नेता ऐसे लोगो को कहते है जो बहू को भी बेटी जैसी इज्जत देना जानते हो
जय हो विट्ठल भाई आपका ये कदम पूरा भारतवर्ष याद रखेगा 

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मानव लिंग का आकार एक रिपोर्ट

 * 113 देशों के पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज का विश्लेषण
  * 7.1 इंच के औसत 'साइज' के साथ कांगो सबसे ऊपर है
 * भारत में कंडोम का साइज तय करने के लिए किए गए 'साइज सर्वे' की रिपोर्ट क्या कहेती है ?
 * भारत मे कंडोम का साइज कीतना अनीवार्य है
 * रिचर्ड का सर्वे और उठते सवाल ?
 * सर्वे और उसकी मुश्किलें
 * सर्वे में शामिल अहम देशों का औसत साइज
* कोच्चि की अलग कहानी
पुरुषों के शरीर में " टेस्टोस्टेरॉन" नाम का हारमोन कम क्यू हुवा ?

        " एक प्रसिद्ध ब्रिटिश वैज्ञानिक रिचर्ड लिन ने मानव (पुरुष) के लिंग के आकार पर एक शोधपत्र प्रकाशित किया। इस शोध में 113 देशों के पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज का विश्लेषण किया गया है। इस आधार पर देशों की एक लिस्‍ट भी बनाई गई है। इस लिस्‍ट में भारत 110वें स्थान पर है। लिस्‍ट में 7.1 इंच के औसत 'साइज' के साथ कांगो सबसे ऊपर है। कोरिया और कंबोडिया (3.9 इंच) सबसे नीचे हैं। भारत इन्‍हीं दो देशों से ऊपर है। भारतीय पुरुषों का 'औसत साइज' 4 इंच बताया गया है। लेकिन इस पर सवाल उठ रहे हैं।"

        " साल 2006 में भारत में कंडोम का साइज तय करने के लिए किए गए 'साइज सर्वे' की रिपोर्ट आई थी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा कराए गए सर्वे 'स्डटी ऑन प्रापर लेंथ एंड ब्रेड्थ स्पेसिफिकेसंस फॉर कंडोम बेस्ड एंथ्रोपोमेट्रिक मेजरमेंट' के बाद यह नतीजा निकला था कि भारतीय बाजार में मिलने वाले कंडोम पुरुषों के लिंग के साइज के अनुपात में बड़े होते हैं। आईसीएमआर के लिए सर्वे करने वाले डॉ. शर्मा ने अपनी शोध रिपोर्ट साल 2006 में भारत सरकार को सौंप दी थी।"

* भारत मे कंडोम का साइज कीतना अनीवार्य है ? 
           " हालांकि इसके बाद कंडोम बनाने वालों के लिए कोई भी दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए थे। ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 के अनुच्छेद 'आर' के मुताबिक भारत में कंडोम का साइज कम से कम 6.7 इंच रखना अनिवार्य है। बहरहाल, सर्वे में 1400 पुरुषों का डाटा लिया गया था जिसमें 18-50 आयुवर्ग के पुरुष शामिल थे। इससे पहले साल 2001 तक मुंबई में इकट्ठा किए गए (200 लोगों के) डाटा के मुताबिक 60 प्रतिशत भारतीय पुरुषों के प्राइवेट पार्ट की औसत लंबाई 4.4 से 4.9 इंच के बीच और 30 प्रतिशत की लंबाई 4 से 4.9 इंच बताई गई | '
* रिचर्ड के सर्वे पर सवाल
              " डॉ. रिचर्ड द्वारा जारी डाटा के मुताबिक भारतीय पुरुषों के लिंग की औसत लंबाई चार इंच है। उन्‍होंने अपनी रिपोर्ट का आधार आईसीएमआर के सर्वे को बनाया है। इसलिए इस सर्वे को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। द ओपेन मैग्जीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईसीएमआर द्वारा कराए गए सर्वे के नतीजे ही विश्वसनीय नहीं थे। तो फिर इसे आधार बना कर किया गया कोई और सर्वे कैसे विश्‍वसनीय हो सकता है?"

                  " आईसीएमआर के सर्वे को बेहतर रेस्पांस नहीं मिल पाया था क्योंकि भारत में कोई भी पुरुष इस तरह के सर्वे के लिए तैयार हो जाये यह बात भी आसान नहीं है। आईसीएमआर के लिए सर्वे करने वाले डॉ० आर०एस० शर्मा के मुताबिक सर्वे के लिए आंकड़े इकट्ठा करने में उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। डॉ० शर्मा ने साल 2001 में आँकड़े इकट्ठा करना शुरू किया था। उन्हें इसमें पाँच साल लग गये थे। डॉ० शर्मा कहते हैं-"भारतीय पुरुषों के लिंग का औसत साइज निकालना बाकी देशों से भिन्न है क्योंकि यहाँ अलग-अलग जाति और नस्लों के लोग रहते हैं।" डॉ० शर्मा की टीम ने सात सेंटरों- पटना, गुवाहाटी, कटक, चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई और हुबली में पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज के सैंपल इकट्ठे किये थे।"

* सर्वे और उसकी मुश्किलें
                 ' चंडीगढ़ में डॉ० एस के सिंह ने यह सर्वे किया था। डॉ० सिंह 220 पुरुषों का सैंपल लेने में कामयाब रहे थे। पुरुषों के अंग का साइज मापने के लिए एक किट बनाई गई थी जो अंग की मोटाई और लंबाई मापती थी। इसमें दो पेपर स्ट्रिप थी जिनसे माप लिया जाता था। एक पुरुष के कम से कम तीन माप लिए जाते थे और फिर औसत को अंतिम माप मान लिया जाता था।'

                  '' पुरुषों के अंग का माप लेना भी एक बड़ी समस्या थी। पहले आईआईटी खड़गपुर के एक प्रोफेसर ने अंग का माप लेने के लिए एक डिजिटल कैमरा विकसित किया लेकिन महँगा होने के कारण इसे अपनाया नहीं गया था। कई व्‍यावहारिक दिक्‍कतें भी पेश आई थीं। पहले तो पुरुषों को सर्वे में शामिल होने के लिए तैयार करना ही मुश्किल था। अगर किसी तरह तैयार भी किया जाता था तो माप देते वक्‍त वे सहज नहीं हो पाते थे। उन्‍हें इसके लिए बोल्‍ड मैग्‍जीन आदि दिखा कर तैयार किया जाता था। शादीशुदा पुरुषों को अपनी पत्नी को साथ लाने की इजाजत दी गई थी। इसके बावजूद सही माप लेने में कई मुश्किलें आती थीं। चंडीगढ़ में सर्वे करने वाले डॉ० सिंह तो पुरुषों को सर्वे में शामिल होने के लिए देशहित तक का वास्ता देते थे। '

सर्वे में शामिल अहम देशों का औसत साइज

रिपब्लिक ऑफ कांगो - 7.1 इंच,
इक्वाडोर- 7 इंच,
घाना - 6.8 इंच,
कोलंबिया - 6.7 इंच,
आइसलैंड - 6.5 इंच,
इटली - 6.2 इंच,
दक्षिण अफ्रीका - 6 इंच,
स्वीडन - 5.9 इंच,
ग्रीस - 5.8 इंच,
जर्मनी - 5.7 इंच,
न्यूजीलैंड - 5.5 इंच,
यू०के० - 5.5 इंच,
कनाडा - 5.5 इंच,
स्पेन - 5.5 इंच,
फ्रांस - 5.3 इंच,
ऑस्ट्रेलिया - 5.2 इंच,
रूस - 5.2 इंच,
यूएसए - 5.1 इंच,
आयरलैंड - 5 इंच,
रोमानिया - 5 इंच,
भारत- 5 इंच,
चीन - 4.3 इंच,
थाइलैंड - 4 इंच,
दक्षिण कोरिया - 3.8 इंच,
उत्तर कोरिया - 3.8 इंच

* कोच्चि की अलग कहानी
                     " कोच्चि में भी औसत साइज मापने के लिए एक सर्वे किया गया था। इसमें 301 लोग शामिल हुए थे और इसके नतीजे सन 2007 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंपोटेंस रिसर्च में प्रकाशित हुए थे। इस सर्वे को सेक्स रोग विशेषज्ञ डॉ० के० प्रोमुदु ने किया था। डॉ० प्रोमुदु के सर्वे के मुताबिक औसत साइज 5.8 इंच लंबा पाया गया। हालांकि उन्होंने सर्वे सिर्फ केरल में किया था इसलिए इसे समूचे भारत का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता। लेकिन यदि डॉ० प्रोमुदु के सर्वे को यदि मानक माना जाए तो इस सूची में भारत चीन समेत कई देशों से ऊपर हो जाता है। "

                      " इस तरह डॉ० लिन की रिसर्च में कई खामियाँ नजर आती हैं। लेकिन उनकी रिपोर्ट इस बात पर रोशनी जरूर डालती है कि दुनिया के अलग-अलग इलाकों के पुरुषों के 'साइज' में इतना फर्क क्यों हैं। उन्‍होंने इसे मानव जाति के विकास से जोड़ा है। उनके मुताबिक प्राचीन काल में पुरुषों में महिलाओं को गर्भवती कर अपनी नस्ल के विकास की होड़ रहती थी। इस होड़ में अपेक्षाकृत लंबे प्राइवेट पार्ट वाले पुरुष बाजी मार लेते थे। लेकिन जैसे-जैसे पुरुष जाति ने अफ्रीका से यूरोप, एशिया और अन्य द्वीपों में पलायन किया, उनके बीच महिलाओं को गर्भवती करने की होड़ कम हो गई। इस कारण से पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरॉन नाम का हारमोन भी कम होता गया। नतीजतन साइज छोटा होता चला गया। "

                    " डॉ० लिन की शोध के मुताबिक नीग्रॉयड्स का 'औसत साइज' 6.3 इंच होता है। ये अफ्रीका में ही रहने वाले पुरुषों के वंशज हैं जबकि कोकसॉड्स पुरुषों के मामले में यह आँकड़ा 5.4 इंच और मंगोलॉयड्स के मामले में 4.7 इंच है। ये उन पुरुषों के वंशज है जो अफ्रीका को छोड़कर यूरोप और एशिया में बस गए थे '

- Ruchi रूचि

भारत में फांसी : दो बहनें होंगी प्रथम महीला


* 13 बच्चो का अपहरण कीया था
* 9 बच्चो का कत्ल कीया था
* बच्चो से भीख मंगवाई जाती थी
* कमाना बंद तो मीलती थी मौत
* माँ समेत दो बहेने कर रही थी ये काला काम
* भारत मे फांसी पानेवाली पहली महिला

           
कोल्हापुर की दो महिलाओं को 13 बच्चों का अपहरण करने और उनमें से नौ बच्चों का कत्ल कर देने के लिए 2001 में मौत की सजा सुनाई गई थी और उनकी दया याचीका राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले महीने खारिज कर दी थी इसीके साथ भारत में फांसी पाने वाली पहली महिला का नाम तय हो गया है ,ये भारत में फांसी पाने वाली पहली महिलाएं हो सकती हैं।

      “ रेणुका और सीमा अपनी मां अंजनाबाई गावित के साथ मिलकर बच्चों का अपहरण करती थीं और उन्हें भीख मांगने के धंधे में धकेल देती थीं इनमें से कुछ बच्चों ने जब कमाना बंद कर दिया तो उन्हें कत्ल कर दिया गया। दोनों बहनें पुणे की येरवाडा जेल में बंद हैं ,अंजनाबाई की मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई थी , दोनों बहनों का पिता किरण शिंदे सरकारी गवाह बन गया था और उसे छोड़ दिया गया।

          
पिछले महीने रेणुका शिंदे और उसकी बहन सीमा मोहन गावित ने राष्ट्रपती से दया याचिका दाखील की थी जिसे राष्ट्रपती ने खारिज कर दीया है और फांसी दिए जाने से पहले राज्य के गृह मंत्रालय को सभी संबंधित पक्षों को सूचित करना होता है , उसकी समय सीमा आनेवाले शनिवार को खत्म हो रही है।

           
आजादी से अब तक भारत में जितने लोगों को फांसी दी गई है, उनकी संख्या को लेकर विवाद है। सरकारी आंकड़े कहते हैं कि अब तक 52 लोगों को फांसी दी गई है। पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की रिसर्च के मुताबिक असल में यह संख्या बहुत ज्यादा है। इस रिसर्च में उन्होंने पता लगाया है कि 1953 से 1963 के बीच ही 1422 लोगों को फांसी दी गई। हालांकि, अब तक किसी महिला को फांसी दिए जाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

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