tag:blogger.com,1999:blog-4453840648830820059.post5683999032760433152..comments2023-10-31T21:07:41.423+05:30Comments on AAWAZ: दिल्ली को तहरीर चौक बनाना चाहता था - केजरीवाल की साजिश ( वीडियो )SACCHAIhttp://www.blogger.com/profile/04972355488869370687noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4453840648830820059.post-1546556564905810252014-02-27T02:19:58.845+05:302014-02-27T02:19:58.845+05:30वाह ! क्या बात कही
जनता करे पुकार, गरीबी उन्हें म...वाह ! क्या बात कही <br />जनता करे पुकार, गरीबी उन्हें मिटाये |<br />राजनीति की मार, बगावत को उकसाए <br />SACCHAIhttps://www.blogger.com/profile/04972355488869370687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4453840648830820059.post-6018289522579296782014-02-27T02:18:06.302+05:302014-02-27T02:18:06.302+05:30बेहतरीन ...... चंद अल्फ़ाज़ों मे देश की स्थीती दर्शा...बेहतरीन ...... चंद अल्फ़ाज़ों मे देश की स्थीती दर्शा दी आपने SACCHAIhttps://www.blogger.com/profile/04972355488869370687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4453840648830820059.post-89129814144970515062014-02-27T02:16:52.877+05:302014-02-27T02:16:52.877+05:30शुक्रीया रवीकर भाई शुक्रीया रवीकर भाई SACCHAIhttps://www.blogger.com/profile/04972355488869370687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4453840648830820059.post-34372437366667296892014-02-26T09:20:00.375+05:302014-02-26T09:20:00.375+05:30अंतर-तह तहरीर है, चौक-चाक में आग |
रविकर सर पर पैर...अंतर-तह तहरीर है, चौक-चाक में आग |<br />रविकर सर पर पैर रख, भाग सके तो भाग |<br /><br />भाग सके तो भाग, जमुन-जल नाग-कालिया |<br />लिया दिया ना बाल, बटोरे किन्तु तालियां |<br /><br />दिखे अराजक घोर, काहिरा जैसा जंतर |<br />होवे ढोर बटोर, आप में कैसा अंतर || रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4453840648830820059.post-71302288943138579352014-02-24T12:02:22.541+05:302014-02-24T12:02:22.541+05:30पाना-वाना कुछ नहीं, फिर भी करें प्रचार |
ताना-बाना...पाना-वाना कुछ नहीं, फिर भी करें प्रचार |<br />ताना-बाना टूटता, जनता करे पुकार |<br /><br />जनता करे पुकार, गरीबी उन्हें मिटाये |<br />राजनीति की मार, बगावत को उकसाए |<br /><br />आये थे जो आप, मिला था एक बहाना |<br />किन्तु भगोड़ा भाग, नहीं अब माथ खपाना ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com