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Friday, August 28, 2009

" सक्कर खाना मना है .....| "

" सक्कर खाना मना है ....|"


" आम आदमी को सक्कर खाना मना है दोस्तों ,आलू के दाम ने मारा ...अब बारी है सक्कर की ,महेंगाई मार रही है आम आदमी को .....दाल रोटी खाने वाला आम आदमी आज मर रहा है महेंगाई नामक हैवान से .....बड़े बड़े वादे करनेवाले ...आम आदमी को चुनाव के वक्त चाहने वाले हमारे नेता..... आज यही नेता आम आदमी को तरसा रहे है रोटी के लिए ....सोचो की कम तनख्वा में वो गरीब ...वो आम आदमी अपने बच्चो को क्या खिलायेगा ? "


" जहाँ दाल के दाम आसमान छु रहे है वहां एक ....आम आदमी अपने बच्चो को क्या खिलायेगा ...और क्या शिक्षा देगा .....स्कूल की फीस भरेगा आम आदमी या अपने बच्चो को खाना खिलायेगा ?.....दिन भर की थकान के और चिंता के साथ लौटता है ..आम आदमी यही चिंता के साथ की कल जाने किस चीज़ के दाम बढ़ेंगे |इस आम आदमी की तनख्वा नही बढती है मगर नेता की तनख्वा से लेकर उस की सिक्यूरिटी बढती है .....नेता को फाइव स्टार खाना चाहिए मगर गरीब आम आदमी के नसीब में अब बिना सक्कर की चाय सायद लिखी है ......|"


" डायबिटीस भी सायद सक्कर के दाम सुनकर भाग जाएगा .....मै किसी एक नेता की बात नही कर रहा हु ....बात कर रहा हु, उन तमाम नेता की जो आम आदमी को तडपा तडपा कर मार रहे है |क्या आपने कभी सक्कर के दाम पूछे ? कभी दाल के दाम पूछे आपने ? आलू १५ रुपये ,सक्कर ३५ रुपये ,दाल ८० रुपये .....कैसे जियेगा आम आदमी ? .....अगर ऐसा ही चलता रहा तो भारत में से आम आदमी गायब ही हो जाएगा ,क्या लगता है आपको ......ये वास्तविकता है दोस्तों , विदेशो में दाल ,चावल भेजने की जरूरत है मगर ....देश का आम आदमी तड़प रहा है उसका क्या ?.......अपने घर में बच्चे भूखे है और दूसरो के घरो में खैरात करने की क्या जरूरत है हमें ? ...अपने घर में बच्चे भूखे रहते है दोस्तों .......और वो बच्चे है आम आदमी के .....आम आदमी याने हमारे ...इस देश के हर वो आम आदमी के बच्चे जिसे रोज अपने बच्चे को खाना खिलाने की और अच्छी सिक्षा देने की चिंता रहेती है , क्या करेगा आम आदमी सायद ये उसकी ही गलती है जिसने बिना समजे सोचे ...चुनाव के वक्त बटन दबा दिया था |दोस्तों अभी भी वक्त है जागो और अपने अधिकार का इस्तेमाल करो ...नही तो आम आदमी सायद महेंगाई नामकी चक्की में पिस्ता ही जाएगा ...और चक्की का हेंडल रहेगा इन नेता के हाथ में...| हेंडल नेता के हाथ में मगर चुनाव का बटन है आम आदमी के हाथ में ...याने हमारे हाथ में |"


" दिखावे पर जाओ अपनी अक्ल लगाओ ...नेता के चहेरे पर जाओ ...उन का काम देखो ....वरना यु ही महेंगाई के शिकार बनते जाओगे .....क्या यही मेरा भारत है.....जिसका आम आदमी आज तड़प रहा है .....आओ हम सब आम आदमी मिलकर कुछ करे |क्या आप बता सकते है की कैसे आम आदमी को महेंगाई से बचाया जाए ? "


" सरकार चाहे किसी भी पक्ष की हो ...मगर सरकार को इतना पता होना चाहिए की ..आम आदमी को महेंगाई की चक्की में पिसना नही चाहिए |"


" दोस्तों आज आम आदमी मर रहा है महेंगाई में ...क्या कल हमारी बारी नही आएगी क्या ? क्या महेंगाई हमे नही मारेगी ? इसका जवाब है आपके पास ? अगर है तो मुझे बताना ...आपके इसी जवाब का इंतज़ार है |"


" अब ये मत कहेना की कौन करेगा सुरवात .....सुरुवात हमे.... यानि हर एक वो आम आदमी करनी होगी |हम सबको महेंगाई मार रही है ...क्या आपको मार रही है महेंगाई ? "


" कम से कम अपने अपने नेता को सवाल तो पूछो को क्यों मन है सक्कर खाना रहे हो ? कैसे रोकोगे महेंगाई को ? सुबह का हर अख़बार यही कहता है की आज किस चीज़ के दाम बढे |क्या बढती महेंगाई की आपको चिंता नही है ? ...मगर दोस्तों ये सच है की महेंगाई हम सब को मार रही है |"

3 comments:

  1. पूछ पूछ कर थक गए ...!!
    उम्दा सोच ...बेहतरीन विचार ...शुभकामनायें ..!!

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  2. बहुत खूब
    आलू, प्याज, दाल और अब शक्कर के बाद अब जाने किसकी बारी है
    अगर हम अब भी नहीं जागे तो बारी बारी से सारी चीजे महंगी हो जाएँगी
    फिर हमें लिखना पड़ेगा "कुछ भी खाना मना है"

    इससे पहले देर हो जाये ..................... उठो देश के नोजवानों
    क्योकि जब तक
    हमारे बुढे खूसट नेता है
    तब तक यही होता रहेगा
    देश को नई सोच की जरूरत है

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  3. Sateek....!!!

    Sachchaaiii darshati huyi !!!

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