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Saturday, August 8, 2009

माँ भी किसी की बेटी थी |



बच्ची का जन्म क्यु त्यौहार नही है ?



" आपके घर बेटे का जन्म हुवा है" यह सुनकर बहुत से लोग आज भी उछल पड़ते है मगर यही जगह अगर कोई कहे की आपके घर लक्ष्मी का जन्म हुवा है तो मानो बिजली टूट पड़ती हो |मुह लटकाकर अपने सगेवालो को कहते है की "बेटी "हुई है |मै यही कहेना चाहता हु की लड़के के जन्म पर अगर त्यौहार सा है तो लड़की के जन्म पर क्यु नही ?बहुत सारे घर आपके नज़र में भी होंगे जहाँ ये घटनाये बनती हो ...उनको सिर्फ़ बेटे से प्यार है सायद ..."






भुलना मत की आपकी माँ भी कभी किसी की बेटी थी |



बेटी नही तो जिन्दगी क्या है ?....माँ भी कभी किसी की बेटी थी .जिसने हमें जन्म दिया वो भी तो किसी की बेटी ही थी ...



छोड़ो भी अरे हम सभी कहते है की "बेटिया " घर की लक्ष्मी होती है ...देखोना कोई भी सुभ कार्य में हम बेटी से ही तो कुमकुम तिलक करवाते है ...फ़िर भी ये क्यु ?..अरे आज देखो लड़किया ...लड़को से भी आगे है |फ़िर ये फासला क्यु ?

क्यु हम एकतरफ बेटी को लक्ष्मी कहते है तो दूसरी तरफ़ उसके आने से खुस नही होते है ....देखिएगा आपके आस पास ..बहुत सारे घर मिलेंगे "जिन्हें ये पता नही की उनकी माँ भी किसी की बेटी थी |"


बेटी को ठेर सारा प्यार दो ....अरे वो तो किसीकी अमानत है ...दो घर की लाज है |


नोट : " बहु बेटी पर अत्याचार " के अर्न्तगत ये पोस्ट "एकसच्चाई" के चाहनेवालों के सामने रख रहे है ,कृपया इसे दिल से पढियेगा ...कोई भी भूल हमसे हो गई हो तो माफ़ी चाहते है |


:::एकसच्चाई

{सेष भाग अगली पोस्ट में पढियेगा ....}


तब तक अलविदा दोस्तों ........बहुत जल्द मिलेंगे "बहु बेटी पर अत्याचार " के सेष भाग के साथ |






10 comments:

  1. Aapke liye apnee ek kavita post karna chahungi..!
    Aglee tippanee me..

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://shama-kahanee.blogspot.com

    http://shama-baagwaanee.blogspot.com

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  2. Pls,word verification hata den to behtar rahega..ek binati maatr hai..anyatha na len..

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  3. एक बगिया बनाएँ...
    "जब एक बूँद नूरकी,
    भोलेसे चेहरे पे किसी,
    धीरेसे है टपकती ,
    जब दो पंखुडियाँ नाज़ुक-सी,
    मुस्काती हैं होटोंकी,
    वही तो कविता कहलाती!

    क्यों हम उसे गुनगुनाते नही?
    क्यों बाहोंमे झुलाते नही?
    क्यों देते हैं घोंट गला?
    क्यों करतें हैं गुनाह ऐसा?
    ऐसा, जो काबिले माफी नही?
    फाँसी के फँदेके सिवा इसकी,
    अन्य कोई सज़ा नही??

    किससे छुपाते हैं ये करतूते,
    अस्तित्व जिसका चराचर मे,
    वो हमारा पालनहार,
    वो हमारा सर्जनहार,
    कुछभी छुपता है उससे??
    देखता हजारों आँखों से!!
    क्या सचमे हम समझ नही पाते?

    आओ, एक बगीचा बनायें,
    जिसमे ये नन्हीं कलियाँ खिलाएँ,
    इन्हें स्नेह्से नेहलायें,
    महकेगी जिससे ज़िंदगी हमारी,
    महक उठेगी दुनियाँ सारी...
    मत असमय चुन लेना,
    इन्हें फूलने देना,
    एक दिन आयेगा ऐसा,
    जब नाज़ करोगे इन कलियोंका.

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  4. badiyaa post hai magar is me kuch khaas baat nahin likhi agali post kaa intazar rahegaa aur mera tazurba sun len ki meree teen betiyan hain aur aaj mai duniya ki sab se sukhi aurat hoon daamaad betoM se badh kar hain fir bhee yahan anpadhata hai aur ganvon me is jagrukta ke liye bahut kuch karane ke jaroorat hai samay badal raha hai jaise jaise shikshaa kaa prasaar hoga logon me jaagriti aa jaayegee kuch sakaratmak kaam karane kee jaroorat hai alekh to un logon tak pahunch bhi nahin pate hamtum he padh kar kagaz raddi ki tokaree me fenk dete hain mujhe is baat par hairani hoti hai ki jo yuva kuch karane kee tamanna rakhate hain vo sirf likhane tak hee seemit kyon reh jate hain jitanaa time likhane me lagate hain utana kisi ilake me jaa kar logon ko jaagruk kyon nahin karate fir bhi aap kuch to kar he rahe hain iske liye badhaai aur aasheervad

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  5. shamaji,
    " aapki kavita hamare liye bahut hi bada tohfa hai ...is ke liye mai aapko dhanywad kheta hu ...thanx "

    ----- eksacchai {AAWAZ }

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  6. BET AUR BETI MEIN FARK KARNA.....MANAVTA KE PRATI GHOR APRAADH HAI.....

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  7. देवयुग्मो में प्रथम नारी, तत्पश्चात नर का आए नाम,
    उमा-महेश, ‘शची-पुरन्दर, चाहे हो वह सीता-राम,
    मानुषी रुप में देवी हैं, इस तथ्य को ज्ञात करायेगी ।
    आया वह पवित्र ब्रम्हमुहूर्त, जब नारी सतयुग लायेगी ।।

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  8. हमारी संस्कृति का नया घिनौना बाजारू रूप

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  9. hum kitna bhi yeh sudhar lane ki koshish karain ki bete aur beti mein fark nahi hai, betiyan ghar ki laxmi hain phir kyun har kasauti par utari jati hain, paida hune se pahle hi maari jati hain

    aapki rachna achi lagi
    badhai ho

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